तेरी ही इक इबारत हूँ
इश्क़ हूँ ,
इबादत हूँ ,
मोहब्ब्त हूँ ,
रहमत हूँ ख़ुदा की, क़यामत हूँ ।
दिल्लगी हूँ ,
आरज़ू हूँ ,
नज़ाकत हूँ ,
सौगात हूँ अमन की, अमानत हूँ ।
स्वर हूँ ,
सरगम हूँ ,
साज़ हूँ ,
इन्द्रधनुष के ,
प्रीत रंगों में रँगी ,
तेरी ही इक इबारत हूँ।
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला