तेरी हर शिकायत भी मुझसे ही है,
तेरी हर शिकायत भी मुझसे ही है,
तेरी हर अदावत भी मुझसे ही है।
तेरी हर जरूरत भी मुझसे ही है,
तेरी हर आरजू की आशंसा है मुझसे।
मेरी आरजू प्यार के दो लफ़्ज़ थे,
वो भी रहे न अब मेरे अपने।
जो सपने संजोए थे शिद्दत से मैंने,
अब वो दामन में हैं किसी और के।
शिकवा करूं तो तौहीन होगी यार की,
अब तो वो पैसे की मदतार में हैं।
श्याम सांवरा….