तेरी सुंदरता
होगा कुछ भी नहीं
सुंदर तुम सा जहां में
देख आया हूं आज
दुनिया का हर कौना मैं।।
मांगता हूं रब से बस
न झपकनी पड़े पलकें मुझे
कोई बीच में न आए
बस देखता रहूं एकटक तुझे।।
देखकर इन जुल्फों को तेरी
शीतलता मिलती है
बैठकर इनकी छांव में ही मुझे
तस्सली मिलती है।।
देखता हूं ये ललाट तेरा
आभा है इसमें बहुत
देता है प्रकाश सूर्य सा
प्यारा लगता है ये बहुत।।
तेरी आंखों की तो मैं
अब क्या बात करूं
खो जाता हूं मैं इनमें
जब भी इनको देखा करूं।।
करते हो आकर्षित हर वक्त,
रोकने पर भी नज़र नहीं रुकती
जब भी देखता हूं मैं तुम्हें
नज़र एक पल भी नहीं हटती।।
ये तेरे बदन की खुशबू
कहती है तेरे पास रुकूं
लगाकर गले फिर तुम्हें
शायद मुझे मिल जाए सुकूं।।
महसूस करता हूं मैं फिर
मुझे जन्नत है मिली
पास तेरे आकर ही देख
मेरी किस्मत है खिली।।