तेरी शरण में आया हूं
हे राम मेरे हे राम मेरे अब तेरी शरण में आया हूं
बर्बाद किया जीवन अपना आशीष तेरा अब पाया हूं
हे राम मेरे हे राम मेरे अब तेरी शरण में आया हूं
अपने जीवन में मैने
काम कोई ना नेक किया
नहीं किया प्रेम स्नेह किसी से
ना ही कभी उपकार किया
हृदय प्रेम को आतुर है
स्नेह सदा बनाए रखना
आशीष बनाकर रखना मुझ पर
धारा प्रेम की बहाए रखना
हे राम मेरे हे राम मेरे अब तेरी शरण में आया हूं
दूषित सोच और मलिन ह्रदय संग
कभी ना तेरा नाम लिया
जहां कहीं दिखा मंदिर तेरा
ना रुका ना नमस्कार किया
विशाल हृदय से तुमने हरदम
गलती मेरी भुलाई है
पश्चाताप का एक मौका दे
फिर की मेरी भलाई है
हे राम मेरे हे राम मेरे अब तेरी शरण में आया हूं
इति।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश