तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है,
हवाएं तेरी खुशबू मेरे पास छोड़ जाती है!!
अजीब हलचल मचा जाती है तेरी दस्तक,
दीवार-वो-दर भी थोड़ी सहम सी जाती है!!
दिल में अजब सा गुबार उठता जाता है,
ख़ामोशी से मेरी आवाज़ बैठ सी जाती है!!
इल्तिज़ा आवाजें तो पास बुलाती है मुझे,
यूं गम-ए-फुर्कत में होंठ भी सी जाती है!!
बेजां सी जिस्म, इस चकाचौंध भरी दुनियां में,
पत्थर भी मोम की तरह पिघल सी जाती है!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”