” तेरी याद “
यूं तो आदत नहीं मुझे रात में जगने की ,
लेकिन तेरी याद मुझे सोने नहीं देती है ll
चाहा कई बार तुझे नींद से जगाने की ,
लेकिन तेरी यह नासमझ नींद तुझे जगने नहीं देती है ll
न जाने कितने फोन और मैसेज किए तुझे ,
लेकिन तेरी इस बेपरवाह नींद ने तुझे जगने नहीं दिया ll
सोचा था आज रात भर बात करूंगा तुझसे ,
लेकिन यह ख्वाहिश पूरी मैं कर नहीं सका ll
कभी पढ़ाई तो कभी ऑफिस की जिम्मेदारियों में उलझा रहा मैं ,
लेकिन एक तू है जो अपनी नींद की उलझन से बाहर आ नहीं सकी ll
मुझे गम नहीं इस बात का कि एक और रात तेरे गुड नाइट के इंतजार में बिता दिया,
बस कभी-कभी खुद से नाराज हो जाता हूं यह सोच कर कि इतनी उम्मीद कब से पालने लगा मैं ll
जब कभी तुझे मैसेज करूं तो मुझे लगता है ढेर सारी बात होगी तेरे पास करने के लिए,
लेकिन दिल बैठ जाता है जब तू ऑनलाइन होती है लेकिन कुछ लिख नहीं पाती ll
यूं खामोश देखकर बाय बोल देता हूं तुझे,
और तू भी झट से बाय बोल कर निकल जाती है कि जैसे मानो तुझे बस मेरे बाय बोलने का ही इंतजार था ll
मुझे पसंद नहीं फोन लगाकर चुप रहना ,
क्योंकि मुझे खुद से भी ज्यादा मेरे समय की कीमत का एहसास है ll
तेरी इस बेपरवाही से भी कोई एतराज नहीं मुझे ,
तेरी हर आदत को स्वीकार कर लिया और फिर कभी ना बोलना कि तुम अभी तक समझे नहीं मुझे ll
तेरे चेहरे पर हंसी रहे इसलिए शिकायत नहीं करता मैं ,
तुझे खुश देख कर ही अपनी खुशी खोज लेता हूं मैं ll
माना प्यार जताना और रूठे को मनाना नहीं आता है मुझे ,
लेकिन इस बेईमानी की दुनिया में सच्चा प्यार करना आता है मुझे ll