तेरी याद
लम्हा – लम्हा महक उठता है आसपास ,
जब भूली – बिसरी यादों में,
रौशन चिराग़ मिलते हैं ॥
तुम कहा हम कहा का इजहार बहता रहे,
दिलो मे बिती लम्हो की बयार चलती रहे,
कभी शरमा के उँगलियो मे पल्लू लपेटती रहे,
मंद-मंद होटो पर लरज के निसान बनते रहे,
कनखियो से नजर से दिदार करती रहे,
धिमे से लरजती -लरजती सुरमयी बोली
हंसी ने लबों पर अब आना छोड दिया ,
ख्बाबों ने सपनों में आना छोड दिया,
नहीं आती अब तो हिचकीया भी ,
शायद आपने भी याद करना छोड’ दिया,
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये,
भूली – बिसरी यादों में,रौशन चिराग़ जलते रहे,।।कांत।।