तेरी याद
बैठा हूँ बेला की छाया में
खो कर वर्षों से तेरी यादों में
आशा है तु आएगी एक दिन
लेकर प्यार का पैगाम मेरे
आँखें भी न सो रही हैं
डर है तेरे निकल जाने की
हर आती पवनों की लहरों से
तेरे आने का समय पूंछ रहे हैं
जाएगी तु एक दिन इन राहों से
यही बैठ कर सोच रहे हैं।
संजय कुमार✍️✍️