तेरी यादों में ही संसार।
मौसम पे आई बहार ऐसे,
तेरी पायल की झंकार हो जैसे,
झोंका हवा का आया ऐसे,
गया तूने मल्हार हो जैसे,
तेरी हंसी गूंजी कानों में ऐसे,
रिमझिम बरसती फुहार हो जैसे,
रोशन हुआ दिल यादों से ऐसे,
मुरझाया गुलशन गुलज़ार हो जैसे,
बोलती थी तू मुझसे ऐसे,
बजता कोई सितार हो जैसे,
ख़्यालों में बनती थी तस्वीर ऐसे ,
ख़्यालों में कोई चित्रकार हो जैसे,
रू-ब-रू हुआ उस हकीकत से ऐसे,
सपना कोई खुशगवार हो जैसे,
आसमां में छाई घटा ऐसे,
कुछ कहने को बेकरार हो जैसे,
यादें बसी है मन में ऐसे,
मेरे गले का हार हो जैसे,
तेरी यादों में खो जाता हूं ऐसे,
आज भी तू इस पार हो जैसे,
याद तुझे करता हूं ऐसे,
तेरी यादों में ही संसार हो जैसे।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।