तेरी यादों के साये में जिंदगी का चिराग जल रहा है
तेरी यादों के साये में जिंदगी का चिराग जल रहा है,
वक़्त ठहर गया है बस सूरज निकलकर ढ़ल रहा है।
तुम्हारे इक वादे पर जिंदगी की रफ्तार रुकी हुई है,
दिखावे को सिर्फ साँसों का सिलसिला चल रहा है।
कैसे कह दूँ तुमने बेवफाई की मुझसे मोहब्बत में,
ये मेरा ही विश्वास था जो मुझे पल पल छल रहा है।
कमी रह गयी उस खुदा की मेरी तकदीर लिखने में,
दिल का दर्द बन कर आँसू आँखों से निकल रहा है।
दिल की धड़कनें अब भी पुकारती हैं नाम तुम्हारा,
जुदाई की आग में मेरा पत्थर दिल पिघल रहा है।
सुलक्षणा कब तक करोगी इंतजार पूछते हैं लोग,
पर वो क्या जाने मिलने को ये दिल मचल रहा है।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत