तेरी यादों की गली
मेरा दिल तो
छोटा सा है
लेकिन इसमें धड़कती
सांस लेती
तेरी यादों की गली
न जाने
कितनी लम्बी है कि
कहीं रुकने का नाम ही नहीं लेती
मैं चलते चलते थक गई हूं
लेकिन यह नहीं थकती
न दिन देखती
न रात
दिन में एक चमकते सूरज के
अरमानों सी
रात में एक चांद के ख्वाबों की
दास्तानों सी
बिना रुके
बिना सांस लिए
चलती चली जाती है
भागती जाती है
मेरे तो कई बार
हाथ भी नहीं आती है
आंखों से ओझल भी हो जाती है
पर
इसका पता साफ है
बस नाक की सीध में
सीधे सीधे चलते जाओ
यह तो लगता है
सारी उम्र चलेगी मेरे साथ ही
आखिर है तो
मेरे अपनों की यादों की एक गली
ही।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001