तेरी यादों की एक लकीर
बार बार
मैं देखूं
तेरी तस्वीर
दिल में
उभर आती है
तेरी यादों की एक लकीर
तू नहीं कोई
एक धुंधली जंजीर
तू तो मेरे दिल की गली में
सदियों से भटकता
एक फकीर
मैं भी छोड़ दूं
अपना चोला तो
दोनों मिल जायें
एक रंग
एक खुशबू
एक अंग
एक अक्स
एक आत्मा से
तस्वीर नहीं
फिर दिखेगा
एक रोशनी सा तेरा उज्जवल चेहरा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001