“तेरी यादे”
आंखों के रंगमंच पर ,
अभिनय करती ,
तेरी यादें ।
कभी हंसाती,
कभी रुलाती,
धूप सी तिखी,
छांव सी मीठी,
तो कभी ,
कांटों जैसी चुभन सी ,
एहसास दिलाती है ,
यह रातें ।
आंखों के रंगमंच पर ,
अभिनय करती ,
“तेरी यादें ” ।
ओस की बूंदो सी ,
चममकती ,
आसमान मे ,
पंछीयो ,
सी उड़ती ,
पहाड़ों पर
झरनो सी,
उतरती
तो कभी,
दिल पर बिजली सी
गिरती वो बातें ।
आंखों के रंगमंच पर,
अभिनय करती,
” तेरी यादें ” ।
क्या अब भी,
वहां बादलों में
चांद कोई निकलता है,
क्या अब भी
हवा के झोंकों से,
बाल किसी का उड़ता है ,
क्या अब भी,
वहा इंतजार में बिछी है,
किसी की आंखें ।
आंखों के रंगमंच पर ,
अभिनय करती,
” तेरी यादें” ।