तेरी मासूमियत देखकर
तेरी मासूमियत देखकर
तेरी खिदमत करूंगी।
तुझेसे दोस्ती करुंगी।
प्यार चाहे जो हो,
पर तुझसे ही इश्के – मोहब्बत करूंगी ।
पाना आसान नहीं है यहां इश्के – मोहब्बत ,
घायल है हर इंसानियत।
तेरी मासूमियत देखकर
तेरी खिदमत करूंगी
तुझसे दोस्ती करुंगी।
प्यार चाहे जो हो,
पर तुझसे ही इश्के -मोहब्बत करूंगी
फरेब चेहरों ने ओढ़ लिए हैं प्यार के चेहरे ।
मासूम तो सभी दिखते हैं नकाब लिए।
– डॉ सीमा कुमारी, 27-9-024 की स्वरचित रचना है मेरी।