तेरी ममता और करुणा अमित कुमार दवे
तेरी ममता और करुणा
अमित कुमार दवे
तेरे नेहिल आशीषों के आश्रय में,
जित नव-नव पाता बढ़ता मैं !
स्वयं सीखता और स्वयं समझता,
सृष्टि की गति को अपनाता चलता मैं!
अथक गति को धारण करता,
सपनों संग अपनों को थामे रखता मैं!
टूटता – संवरता- संभलता तूझे स्मरणता
नित दंश जगत् में सहता आगे बढ़ाता मैं!
तेरी ममता और करुणा के दम पर,
जग में क्या-क्या नहीं कर सकता मैं !
शक्ति – सामर्थ्य का सहज प्रवहण,
नित स्मरण कर देह निज में पाता मैं!
नहीं कोई तुझसा इस मायावी जग में,
जिसके आँचल में आश्रय पाता मैं!
तेरे प्रयासों के परिणाम से ही जग में,
गिरता-उठता-बनता बढ़ता जाता हूँ मैं!
सादर सस्नेह
डॉ.अमित कुमार दवे, खड़गदा