तेरी नजरों के दीवाने है
**तेरी नजरों के दीवाने हैँ**
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तेरी नजरों के दीवाने हैँ,
तेरे – मेरे ही अफ़साने हैँ।
चोरी-चोरी चुपके-चूपके से,
नैनों के मिलते नजराने हैं।
दीपक की अंधेरी राहों में,
जलते रहते यूं परवाने हैं।
तुमको तो हम हैँ क्या जानें,
खुद से भी हम अनजानें हैं।
तन-मन मनसीरत जलता है,
सारे मौसम आने -जाने हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)