तेरी तस्वीर
यूँ ही बेख़याली में कलम उठाई थी ,
होश आया तो तेरी तस्वीर बन गई ,
तुझसे पहले कुछ नहीं था मैं ,
तुम मिले तो तकदीर बन गई ,
दिल में सुलगते तुफानो को कैसे संभालूं ,
तेरी ए जो अदाए है शमशीर बन गई ,
मुफलिशी में काटी थी जिन्दगी हमने ,
अब महोब्बत की कितनी जागीर बन गई ,