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2 Feb 2020 · 1 min read

तेरी तस्वीर

तेरी तस्वीर पीछा नहीं छोड़ती
बात करने का मौका नहीं छोड़ती

मेरे अंदर समाई है तू इस क़दर
साँस आने का रस्ता नहीं छोड़ती

हर घड़ी सामने मेरे रहने लगी
एक सूरत जो शीशा नहीं छोड़ती

हर बला से मुझे वो बचाती रही
जो गज़ल मेरी गाना नहीं छोड़ती

जानती है दिलों के जो हालात हैं
फिर मुझे क्यों सताना नहीं छोड़ती

गर मुहब्बत की लहरें जवां हो गई
फिर किनारों पे नौका नहीं छोड़ती

अजनबी भी नहीं है न पहचान है
नाम ‘सागर’ लगाना नहीं छोड़ती
—-सागर

2 Likes · 2 Comments · 280 Views
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