तेरी चाहत में
मापनी –212 122 222 212
दिल भटक भटक कर बंजारा हो गया।
(तेरी चाहत में।)
दिल तड़प तडफ़ कर आवारा हो गया। ( तेरी चाहत में )
तुम तो हाथ मेरे आओगी भी नही ।
सोच कर यही मधु बेचारा हो गया।
बात मेरि अब यह सुनता भी है कहाँ
जब से दिल मिरा यह तुम्हारा हो गया।
मेहमान जब से तुम बनकर आ गई।
रोशनी सा दिल मे उजियारा हो गया।
अब तो बस लगे यह दुनियाँ ही दोगली।
ख़ाक साजमाना यह सारा हो गया।
कलम घिसाई