तेरी चाहत का असर
मोहब्बत,बेइंतहा हैं तुमसे
चाहतों का रंग, गहरा है
दिल में भी तुम हो, और
बाहर तेरा ही पहरा है
भूला नहीं पाई,अबतक
तुम्हें, इस दिल से,
तेरी बातों का असर
आज भी गहरा हैं
एक एक पल, फिर से
जीना चाहती हूँ,संग तेरे
लौट आओ न, एक बार
क्या हुआ, जो कोहरा हैं
कैसे बताएं, हाल ए दिल
जी रहे हैं कैसे, बिन तेरे
यादों की चादर हैं, ऊपर
बाहर हिम, शीतलहरा हैं
उम्मीद लगाए, बैठे हैं
मिलन की तुमसे, इस कदर
जिंदगी का हर पहर
तेरी बाहों में आने, ठहरा है
रेखा कापसे
होशंगाबाद, मप्र