तेरी कविता
तेरी कविता
(विश्व कविता दिवस पर रचित)
~~°~~°~~°
यदि दिल की गहराइयों में उतरे,
कोई नज़्म चंद लम्हों में,
तो इबारत लिखने व पढ़ने में,
लोग वक़्त क्यूँ ज़ाया करेंगे।
अश्क के सैलाब की जब,
जरूरत पड़ेगी खुश्क आँखों में,
ख्वाब संजोने को तो लोग,
सिर्फ और सिर्फ तेरी कविता पढ़ेंगे।
जरा सी मोहलत मिल जाए,
इन मोहब्बत के अदाकारों को,
तो वे नफरत की दीवारों को,
इक पल में ही गिराया करेंगे।
दिल में जख्म गहरा भी हो,
यदि गम के सख्त एहसासों का,
फरियादी गीत बनकर उन लबों पर,
सिर्फ और सिर्फ तेरी कविता रहेंगे।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २३ /०३ /२०२२
चैत ,कृष्ण पक्ष,षष्ठी,बुधवार।
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201