तेरी आरज़ू, तेरी वफ़ा
सब लोग मुझसे पूछते एक ही सवाल है
तेरी आरज़ू तेरी वफ़ा का कैसा हाल है
वो छेड़ते हैं ले-लेकर के सब नाम तुम्हारा
कहते हैं तेरी दिलरूबा बड़ी बेमिसाल है
तूं चलती है जब साथ मेरे तकते हैं दूर तक
कहते हैं तुम्हे देखकर हिरनी सी चाल है
मैंने मोहब्बत की नहीं ये तेरा हुस्न देख कर
कहते है लोग तुने पाया हुस्न-ए-जमाल है
नहीं छोड़ते पिछा मेरा तो मैं भी ये कहता हूं
“विनोद”की जान-ए-वफा बड़ी कमाल है