चिराग़ जल उठते है
तुम आती हो तो खुदबखुद ,
मेरे घर में चिराग़ जल उठते है
सारे मोहल्ले में सिर्फ़ मेरे घर रोशनी जगमगाती है
ऐसा नूर है तुम्हरे अंदर
और क्या कहूं तुम्हरे लिए
मेरे सारे अल्फाज़ ही तुमसे है
तुम आती हो तो खुदबखुद ,
मेरे घर में चिराग़ जल उठते है
सारे मोहल्ले में सिर्फ़ मेरे घर रोशनी जगमगाती है
ऐसा नूर है तुम्हरे अंदर
और क्या कहूं तुम्हरे लिए
मेरे सारे अल्फाज़ ही तुमसे है