तेरा सरूर ऐसा कि मैं खो गया
तेरा सरूर ऐसा की मैं खो गया
मेरा कसूर ऐसा की मैं खो गया
रखते कदम कान्हा तेरी भूमि पर
मैं अपना सुध बुध बस खो गया
क्या शान है तेरी इस जहान में
बस इक बार आ जाओ मेरे मकान में
तेरी मुरली की धून का दीवाना हूँ
बस तेरे प्यार से में बेगाना हूँ
आजाओ आजाओ बस धून सुना जाओ
कर दो बेडा मार बस श्याम तुम आ जाओ
क्या मथुरा में प्यार दोगे, कभी मेरठ भी आ जाओ
तेरे दर्श को प्यासे हैं नैन, इक झलक दिखला जाओ
आजाओ श्याम, इस होली पर आ जाओ तरसे हैं नैना
प्यासे मन को दे जाओ चैना , बस झलक दिखा हो !!
अजीत तलवार
मेरठ