* तेरा यह कहना..कि ..आस न रखना*
तुझे दिल से चाहा, तुझे दिल से प्यार किया
तेरे दिल को अपना बना कर इतना प्यार किया
पर तेरे इक झूठ ने दिल हो हिला के रख दिया
आज तनहा हुए तो हम को इस बात का एहसास हुआ !!
कहने और करने में विश्वाश रखना आना जरूरी है
यह किस ने कहा तुम से की प्यार करना जरूरी है
आशा को निराशा में बदल कर अनजान बन गए हो
अब हम ने भी अपने दिल को समझाने का प्रयास किया !!
यह कह देना की जा रहे हैं हम को यूं याद न करना
पीछे पीछे मेरे तुम आने की हम से फ़रियाद न करना
तकदीर ही कुछ ऐसी थी न संभल सके हम उनके लिए
दिल भी हम से कहता है की अब डूबने की आस न करना !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ