तेरा महबूब शायर
तेरी आंखों की मस्ती
सलामत रहे
अब शराब-वराब से
क्या लेना मुझे…
(1)
मैं पढ़ता रहूं तेरा
चेहरा हसीन
अब किताब-विताब से
क्या लेना मुझे…
(2)
यूं ही खिलते रहें तेरे
होठों के फूल
अब ग़ुलाब-उलाब से
क्या लेना मुझे…
(3)
तेरे माथे का आंचल
चमकता रहे
अब चिराग़-विराग से
क्या लेना मुझे…
(4)
तू निभाती रहे मुझसे
उल्फत हमेशा
अब रिवाज़-विवाज से
क्या लेना मुझे…
(५)
तेरा महबूब शायर
मैं बना रहूं
अब खिताब-विताब से
क्या लेना मुझे…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)