तेरा पागल दीवाना
फूल सी नाजुक कली हो तुम
हर दिल की प्रेम गली हो तुम
हिमालय की वादियां पूछती हैं
ठुमक ठुमक किधर चली हो तुम
तुम इश्क की शमा मैं मोहब्बत का परवाना
तुम्हारे प्यार में थोड़ा पागल थोड़ा हूं दीवाना
बादलों से बूंद बूंद टपकता पानी
धरा सजी है ओढ़ कर चूनर धानी
बलखाती नागिन सी तुम चलती हो
अंगड़ाई लेती जैसे पहाड़ों की रानी
तुम्हारी आहट से सजने लगा यहां हर मैखाना
शहर में आज फिर आबाद हुआ कोई दीवाना
इश्क की नशीली शाम ढल रही है
मतवाली पौन धीरे-धीरे चल रही है
हर इंतजाम किए हैं आज साकी ने
बस इक तुम्हारी कमी खल रही है
तुम्हारे शहर में आज फिर हुआ है कोई बेगाना
पर्दा हटा कर देखो आया कोई पागल दीवाना
तुम्हारे यौवन पर मौसम बहक रहा है
इश्क की डाल पर हुस्न चहक रहा है
इस चंदन बदन की खुशबू में नहाकर
मतवाला बसंत भी आज महक रहा है
वहां मौसम का क्या हाल है हमको भी बताना
बचपन के प्यार को भुला नहीं तुम्हारा दीवाना