तेरा नूर
खुद की ख्वाहिशो को
जता ही नही पाया!
चाहता हूँ बहुत तुमको
बता ही नहीं पाया!
आये थे जब तुम मिलने
बे-पर्दा ही मुझ से!
देखा जो नूर तेरा नज़र
हटा ही नहीं पाया!
न जाहिर हुई तुम से
न बंया ही हुई हमसे!
कोई भी मुहब्बत को
जता ही नही पाया!
हर गम ने हर सितम ने
हमे हौसला दिया!
हम को मिटाने वाला
मिटा ही नहीं पाया!
– Anoop S©
28 Oct 2019