तेरा चेहरा
हर रंग में
उभर आता है
तेरा चेहरा
आसमान में
बादलों के बीच
उपवन के
फूलों के बीच
दूर तक लहलहाते
खेतो के बीच
रिमझिम बरस रहे
बूंदों के बीच
हवा,पानी
रेत,मिट्टी
पर्वत,नदी,सागर
हर जगह
उभर आता है
तेरा चेहरा
जहाँ भी देखता हूँ
जहाँ भी जाता हूँ
हर वक़्त
मेरे दिल में
उभर आता है
तेरा चेहरा
भूलकर भी
नही भूल पता हूँ
मैं……………..
तेरा चेहरा
हर बार क्यूँ
उलझा देता है
अनजान से सवालो में
हर बार क्यूँ
परेशान कर देता है
अपने जवाबो से
मुझे कुछ समझ नही आ रहा
अब तू ही बता
आखिर! क्या चाहता है?
तेरा चेहरा…..
©Sandeep Raaz Anand