” तेरा एहसान “
” तेरा एहसान ”
इतनी काबिलियत भर दी मुझमें
हर परिस्थिति में चलना सिखाया
जिंदगानी सारी करदी है मेरे नाम
कैसे चुका पाऊंगी एहसान मैं तेरा,
गृहस्थी में भी जीती हूं बचपन जैसे
हर इच्छा मेरी झट से पूरी हो जाती
जो चाहा वो मिला मुझको हमेशा
कैसे चुका पाऊंगी एहसान मैं तेरा,
मानती हूं खुद को मैं सौभाग्यशाली
दुलार से सींचा शादीशुदा जीवन को
आईने की तरह हक़ीक़त दिखाता तूं
कैसे चुका पाऊंगी एहसान मैं तेरा,
हर रूप में तुमने स्वीकारा है मुझको
सीना तानकर जीना सिखाया है राज
पूनिया के सपनों को तुमने अपनाया
कैसे चुका पाऊंगी एहसान मैं तेरा।