– तेरा इरादा क्या है –
जिंदगी तेरे गुलाम तो हम हैं ही
तेरी हर बात पर सर झुकाते हैं
तेरे हर इरादे का करते हैं सम्मान
फिर भी तू इम्तेहान लेती बार बार
कितना भी दर्द हो हमारे अंदर
बेवजह हम किसी को दिखाते तक नहीं
घुट घुट के दर्द सेह जाते हैं
पल पल आँसुओं को बहाने के लिए
सारे अरमान हमने रख दिए ताक पर
शायद तेरा कुछ इरादा बदल जाए
पर तुझ पर वो असर नहीं पड़ता है
जो पड़ता है हमारे अपने रुखसार पर
अजीत कुमार तलवार
मेरठ