*तेरा इंतजार*
न चाहते हुए भी आज तेरी याद आ गई
मुस्कुराता हुआ चेहरा तेरा सामने आ गया
आया जब होश तो ख़ुद को अकेले पाया
आँखों के सामने फिर वही अंधेरा छा गया
क्यों चला गया है तू दूर मुझसे
ये सवाल फिर जेहन में आ गया
कैसे बदल गया तू इतनी जल्दी
क्यों ये नींद भी मेरी तू चुरा गया
शायद होंगे मुझसे बेहतर प्यार करने वाले
लेकिन कोई उन्हें जानता नहीं
ढूंढते ढूंढते जब थक जाओ कभी
लौटकर आना, हम मिलेंगे यहीं
न पूछूंगा तुमसे मैं कुछ भी
जब तू लौटकर आएगा पास मेरे
देखकर सामने तुम्हें बंद कर लूंगा आंखें
बस बाहों में भर लेना आकर पास मेरे
कैसी धुंध है तेरी आंखों के सामने
जो तुम्हें मेरे हालत नहीं दिखते
भीगा नहीं हूं मैं बारिश से
क्या तुम्हें मेरे आंसू नहीं दिखते
इंतजार ही है अब किस्मत में मेरी
न जाने ये कब खत्म होगा
है सबकुछ अब तेरे ही भरोसे
मेरा दर्द खत्म होगा या जीवन खत्म होगा।