Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2016 · 1 min read

तेरा इंतजार

हे आत्मा मेरी, तुम हो मेरे साथ
पर फिर भी है मुझे क्यों तेरा इंतज़ार….

तुम उम्मीद हो मेरी, आरजू मेरी
शरीर की सांस मेरी, तुम हो तो धडकता है दिल बार-बार….

सुनाउंगा सब किस्से तुम्हें
बताउंगा हर कहानी तुझे, दिल से करना मेरा ऐतबार….

पूछूंगा सफर कैसा रहा
जिदंगी के पड़ाव में दुनिया का शोर कैसा रहा……

हर बात बता, किसी बात को न छुपा
मुझे होश में ला, आत्मा और परमात्मा का मिलन करवा….

Language: Hindi
2 Comments · 540 Views

You may also like these posts

ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Dr Archana Gupta
कहां गए वो लोग ?
कहां गए वो लोग ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
कम्प्यूटर
कम्प्यूटर
अरशद रसूल बदायूंनी
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
“जिंदगी की राह ”
“जिंदगी की राह ”
Yogendra Chaturwedi
2682.*पूर्णिका*
2682.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ ममता की मूरत
माँ ममता की मूरत
Pushpa Tiwari
चांद मुख पे धब्बे क्यों हैं आज तुम्हें बताऊंगी।
चांद मुख पे धब्बे क्यों हैं आज तुम्हें बताऊंगी।
सत्य कुमार प्रेमी
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
रातों में अंधेरा है,
रातों में अंधेरा है,
श्रीहर्ष आचार्य
सरगम
सरगम
Dr. Kishan tandon kranti
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
sushil sarna
दोस्ती।
दोस्ती।
Priya princess panwar
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
Ravi Prakash
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
शेखर सिंह
जिल्लत और जुल्मों का जब दाब बढ़ जायेगा।
जिल्लत और जुल्मों का जब दाब बढ़ जायेगा।
Rj Anand Prajapati
प्रेम यहाँ कण-कण में है।
प्रेम यहाँ कण-कण में है।
Saraswati Bajpai
शान्ति कहां मिलती है
शान्ति कहां मिलती है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"पापा की लाडली " क्या उन्हें याद मेरी आती नहीं
Ram Naresh
होली
होली
Kanchan Alok Malu
कलम की ताक़त
कलम की ताक़त
Dr. Rajeev Jain
जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है।
जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है।
दीपक झा रुद्रा
*
*"पापा की लाडली"*
Shashi kala vyas
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
सत्य होता सामने
सत्य होता सामने
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तबीयत
तबीयत
अंकित आजाद गुप्ता
रो रही है मॉं
रो रही है मॉं
SATPAL CHAUHAN
सुनो
सुनो
पूर्वार्थ
Loading...