तेज दौड़े है रुके ना,
तेज दौड़े है रुके ना,
आज बिलकुल ये मुड़े ना,
मन ये बहका-सा हिरण है !
बादलों को चीर आई
घोर तम से मुक्ति पाई
भोर की आशा किरण है !!
— महावीर उत्तरांचली
तेज दौड़े है रुके ना,
आज बिलकुल ये मुड़े ना,
मन ये बहका-सा हिरण है !
बादलों को चीर आई
घोर तम से मुक्ति पाई
भोर की आशा किरण है !!
— महावीर उत्तरांचली