तेजस्वी जुल्फें
तुम्हें भूलना चाहता हूंँ
ताकि याद रख सकूंँ ज़िंदगी भर के लिए
तुम्हारी बात नहीं करता
ताकि गा सकूंँ तुम्हें गीत में ढाल कर
तुम्हें निहारता नहीं
क्योंकि मन की आँखों से
कई बार देखा है तुम्हें
उसी छवि को, उसी आत्मा को
काग़ज़ की देह पर उकेरना चाहता हूंँ !
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
तुम्हारे दांँतों की चमक से
मेरी आँखें खुल जाती हैं !
धधकते जीवन की प्राणवायु
ओ मेरी पंखुड़ी ! आओ
तुम्हारे बालों की चंचल लटों को
‘कलाम’ की तेजस्वी जुल्फों में बदलते हैं !
-आकाश अगम