तू हार न अभी
तू हार न अभी
छमता को अभी पहचानना है
ख़ामोशी को लगा न गले
तपते सूरज को निहारना है
कर न नीरस मन को
अभी बाकी है कुछ रातें
अभी बाकी है कुछ बाते
अभी बाकी है वो जज़्बा
जो मरता नहीं है
कुछ सपने टूटने से
यह संसार बिखरता नहीं है
हस के चल दे राहों पर
धूमिल पड़ा है जो
आज फिर से उसे सवारना है
तू हार न अभी
छमता को अभी पहचानना है
– सोनिका मिश्रा