तू रोज सपनों में आकर नहीं रुलाया कर
तू रोज सपनों में आकर नहीं रुलाया कर
यूँ आंसुओं से मेरी नींद मत सजाया कर
बहार है मेरे जीवन में तेरे आने से
बिछड़ के मुझको खिजाँ से नहीं मिलाया कर
गवाह प्यार के अपने ये चाँद तारे हैं
इन्हीं से बात जरा करके गम भुलाया कर
न कटते दिन न ये रातें मेरी बिना तेरे
तू याद बनके मेरे दिल पे यूँ न छाया कर
मैं गज़लों गीतों में जज़्बात अपने कहती हूँ
तू दिल की बात मेरी यूँ समझ भी जाया कर
तू प्यार है मेरा,मैं ‘अर्चना’ करूँ तेरी
पकड़ के हाथ मेरा साथ तू निभाया कर
13-01-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद