तू रूह में मेरी कुछ इस तरह समा रहा है।
तू रूह में मेरी कुछ इस तरह समा रहा है।
फूल जैसे कोई यूं गुलशन को महका रहा है।।1।।
मेरी अंधेरी जिंदगी में उजाला ला रहा है।
तारों के जैसे तू मेरे दिल में जगमगा रहा है।।2।।
तेरे सारे गम मेरे हो मेरी खुशियां तेरी हो।
तुम्हारा यूं रोना दिल को बड़ा तड़पा रहा है।।3।।
आमद से तुम्हारी दिल खुशी से गा रहा है।
मुद्दातों बाद कोई मेहमां घर को आ रहा है।।4।।
सीलन भी दीवार ओ दर की जाती नहीं है।
आफताब जैसे हमसे दुश्मनी निभा रहा है।।5।।
काली रात की बड़ी ही खामोश तन्हाई है।
इन्तजार है सवेरे का पर वह ना आ रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ