तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
वो जो भी कहे तू चुप रहना,वो ज़हर उगले तू सब सहना
काँटे वो लाख बिछाएँगे,तेज़ाब से तुझको जलाएँगे
किरदार तेरा वो गिराएँगे,झूठी तुझको ठहराएँगे
पर तु बिल्कुल बदलना नहीं,उनकी राहों पर चलना नहीं
जो सही है वो ही करती जा,अंजाम से तू न डरती जा
एक दिन तो सबको मरना है,अपना हिसाब ख़ुद ही भरना है
नामा-ए-आमाल की फ़िक्र तू कर,दूजे के ऐब का न ज़िक्र तू कर
सब के कर्म उनके साथ जाएँगे,तब देखेंगे कौन क्या पाएँगे
तुझको बस अच्छा रहना है,अपने लिए सच्चा रहना है!
गिरे भी तू तो उठना सही,चलते रहना, तू रुकना नहीं!