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21 Dec 2020 · 2 min read

तू मेरे आज को मेरी असलियत मत समझना।।

सुन ले ये दुनियां तू मेरे आज को मेरी असलियत मत समझना,
माना की आज मेरे पास मेरी मंजिल नहीं है,पर इस भ्रम में तू मुझे नाक़ाबिल मत समझना,
मैं चुप हूँ तो इसको मेरे निशब्द होने की वजह मत समझना,

सुन ले ये दुनियां तू मेरे आज को मेरी असलियत मत समझना।।

मैं जो आज हूँ कल की वजह से हूँ,पर मैं कल अपने आज के वज़ह से हूँगा,
कल हुए थे हज़ार गुनाह मुझसे मेरी जिन्दगी में,पर आज मैं सबक-ए-गुनाह के साथ कल की तैयारी में हूँ,
माना आज तेरे क़ाबिल ना हूँ मैं,पर है वादा ये ज़िन्दगी तुझसे कल तू मुझसे मायूस ना होगी,
मेरे आज से निकले कल को तू भी सदक़ा करेगी,
बस तू मेरे आज के भ्रम में आकर,
मेरे आज को ही मेरी असलियत मत समझना।।

रोया था मैं अपने कल पर,और तू मुझें संभालने भी ना आई थी,
ख़ुद पोंछे थे मैने अपने आँशु,खुद ही खुद सम्भाला था,
तूने दिखाई थी कल मुझको मेरी कल की असलियत,
अब बारी मेरी है कल तुझे मेरी असलियत बताने की,
तूने तोड़ने की हर दफ़ा कोशिस की मेरे अक्स को,
तेरे लगातार होते हमलों से मैं सिमट गया था,
सच कहुँ तो डर गया था,
मेरे अक्स को सिमटता देख तूने,
मेरे कल को मेरी असलियत समझने की भूल की थी,
पर सुन ले ये ज़िन्दगी ना वो मेरी असलियत थी जो तेरे कारण से गुजरी,
ना आज ये मेरी असलियत है जो अभी गुजर रही है,
मेरी असलियत का सामना तेरा उस दिन होगा जिस दिन मेरी शख्सियत को ढूंढने के लिए तुझे,मुझे याद करने की जरूरत ना होगी,
बस तू अखबार के पन्नो को पलटेगी ,उसमे हर दिन छपी मेरी तश्वीर तुझे मेरे संग तेरे किए गये तेरे हर गुनाह का तुझको एहसास कराएगी,पर उस वक़्त मैं अपनी असलियत को जी रहा हूँगा,और ये दुनिया तू किसी कोने में अफसोस के आँशुओ में डूबी होगी।।

तो ये दुनिया सुन तू मेरे आज को मेरी असलियत मत समझना,
अभी तो मैंने शुरू की है जंग,दुनियां के ख़िलाफ़ अभी तो मुझे मेरे अक्स को पाना है।।

दीपक ‘पटेल’

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 350 Views
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