तू मेरी ना हो सकी
आज कल नाराज आशिक कुछ ऐसे बोलते है..
तू मेरी ना हो सकी, तो किसी और की भी ना होने दूंगा,
में तो जो रो रहा हु, तेरी अश्रुओ को भी ना बिछोने दूंगा,
और फिर अपनी आँखें मिलाकर बोलते है..
गर तू आई भी पास, तुमसे कभी नज़रे नहीं मिलाऊँगा,
ना चैन से सोऊंगा, और ना चैन से तुम्हे सोने दूंगा,
और खुद कुछ नहीं बन पाए तो कह दिया..
मेरी मत मारी गई थी, जो प्यार तुमसे बेइंतेहा कर बैठा,
अब न में इम्तिहान दूंगा, और ना तुम्हे पास होने दूंगा,
फिर सोच कर कुछ ठीक कह लू , कहता है..
मेरी आंखो का नूर हो, फ़क़ीर की तलाशी में निकला कोहिनूर हो,
आशिक़ में नहीं कल का, जो तेरी याद में अपना सर पटक दूंगा,
और गुस्से में जाते हुए कहता है..
तुम्हे दिलाता रहूँगा याद, तनहा ज़िंदगी थी मेरी हसीन ख़्वाब,
अब ना तेरे ख्वाब में देखूंगा, और ना चैन से ख्वाब देखने दूंगा,