तू मुझमे है मैतुझमे हूं
प्रथम मिलन की बेला मे
कुछ ऐसा अपनापन सा था
कुछ नजर नजर की चाहत थी
कुछ बेबस दिल की धड़कन थी
कुछ पल अपने साथ मे थे
कुछ सॉसों के एहसास मे थे
वो हंसी शमा वो प्यारी अदा
वो नजरो से नजरो की छटा
क्यू पागल मन यू बेकल हुआ
क्यू बॉकपन से घायल हुआ
दिल ने खुद से यू धोखा दिया
मेरा होकर मेरा न रहा
बरबस ही तेरी ओर बढ़ा
बेबस सा रहा बेचैन रहा
मुहब्बत का पैगाम मिला
तेरी चाहत का फरमान मिला
दिल का दिल से गठजोड़ हुआ
झंक्रत मन चहुं ओर हुआ
पागल मन मयूर हुआ
कुछ ऐसे नशे मे चूर हुआ
तू मुझमे है मैतुझमे हूं
हर पल यही संदेश मिला
बस यही संदेश मिला