तू बढ़ता चल….
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कदम कदम बढ़ाए चल
जश्न तू मनाएं चल
निज गम को, छिपाए चल
तम से तू लड़ता चल
बढ़ता चल, बढ़ता चल
पग पग तू बढ़ता चल…
पंछी सा तू उड़ता चल
नादान सा तू गिरता चल
फिर भी तू उठता चल
कर्म पथ पर बढ़ता चल
लक्ष्य साधे बढ़ता चल
बढ़ता चल, बढ़ता चल
पग पग तू बढ़ता चल….
हे वीर ! निकल चल,
अपने बनाएं पिंजरे से
आजाद हो, बढ़ चल
गिद्ध सा गगन को छू
बढ़ता चल, बढ़ता चल
पग पग तू बढ़ता चल