Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2023 · 1 min read

तू फ़रिश्ता है अगर तो

तू फ़रिश्ता है अगर तो
रख मुनासिब फ़ासला।
मैं महज इंसां हूं मुझको
आदमी से प्यार है।।

■प्रणय प्रभात■

1 Like · 396 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मंत्र की ताकत
मंत्र की ताकत
Rakesh Bahanwal
जब कभी उनका ध्यान, मेरी दी हुई ring पर जाता होगा
जब कभी उनका ध्यान, मेरी दी हुई ring पर जाता होगा
The_dk_poetry
हमारा चंद्रयान
हमारा चंद्रयान
अरशद रसूल बदायूंनी
इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कैसे धाम अयोध्या आऊं
कैसे धाम अयोध्या आऊं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
कवि रमेशराज
खुद की नज़रों में भी
खुद की नज़रों में भी
Dr fauzia Naseem shad
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
जय शारदा माँ
जय शारदा माँ
Mahesh Jain 'Jyoti'
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
sushil sharma
"याद रखना"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं गणित हूँ
मैं गणित हूँ
ज्योति
‌‌‍ॠतुराज बसंत
‌‌‍ॠतुराज बसंत
Rahul Singh
वीरों की अमर कहानी
वीरों की अमर कहानी
डिजेन्द्र कुर्रे
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
Phool gufran
आप और हम जीवन के सच... मांँ और पत्नी
आप और हम जीवन के सच... मांँ और पत्नी
Neeraj Agarwal
रखो भावना श्रेष्ठ
रखो भावना श्रेष्ठ
लक्ष्मी सिंह
मन की डायरी
मन की डायरी
Surinder blackpen
इंसानियत की लाश
इंसानियत की लाश
SURYA PRAKASH SHARMA
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
पूर्वार्थ
Cherishing my land
Cherishing my land
Ankita Patel
अब जाग उठो
अब जाग उठो
Neha
पग - पग पर बिखरा लावा है
पग - पग पर बिखरा लावा है
Priya Maithil
*आजादी और कर्तव्य*
*आजादी और कर्तव्य*
Dushyant Kumar
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
TAMANNA BILASPURI
😊सुप्रभातम😊
😊सुप्रभातम😊
*प्रणय*
तुही मेरा स्वाभिमान है
तुही मेरा स्वाभिमान है
जय लगन कुमार हैप्पी
रूप अलौकिक हे!जगपालक, व्यापक हो तुम नन्द कुमार।
रूप अलौकिक हे!जगपालक, व्यापक हो तुम नन्द कुमार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आज मैं एक प्रण ले रहा हूं
आज मैं एक प्रण ले रहा हूं
Sudhir srivastava
4061.💐 *पूर्णिका* 💐
4061.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...