तू न आया बरसात में
तू न आया बरसात में,
बैठी हूंँ तेरे इंतजार में,
लगने लगी सावन की झड़ी,
याद ना आई एहसास में ।
मेघा बरसे तू ना तरसे,
प्यास बढ़ रही रात में,
तन-मन सब भीग रहा है,
भीगी-भीगी बरसात में ।
आखिर तुम्हें अब आना है,
बरसात का बहाना है,
रिमझिम-रिमझिम बरस रहा है,
बरसात में पपीहा तड़प रहा है।
नैना बरसे बूंँदे छलके,
उपवन में नाचे मन-मोर,
ठंडी-ठंडी पवन चली है,
खुशबू तन की बिखर रही है ।
टपक रही है यौवन की बूंँदे,
झड़ी लगी घन-घोर घटा है,
थम जा तू बरसात का पानी,
भीग रहा है वह राह में ।
तन्हाई की छांँव में,
उमड़- घुमड़ रहे बादल मन में,
पहली सावन की मुलाकात में,
बरस रहा है बरसात में ।
# बुद्ध प्रकाश;मौदहा,हमीरपुर ।