तू तो आ पूरी जिंदगी लेकर।।
दिल के दुनियां में रोशनी लेकर।
गम के महफ़िल में हर खुशी लेकर।
मेरे उल्फत का हिफाज़त करने
आइए शौक़–ए–शायरी लेकर।
गुफ्तगू करनी है लंबी सी मुझे
तू तो आ पूरी जिंदगी लेकर।
मैं ग़ज़ल हूं तो एक तेरे सिवा
कौन आएगा गायकी लेकर।
फूल झड़ते हैं तेरे होंठों से
शब्द गिरते हैं रागनी लेकर।
धान की खुशबू लिए बालों में
आइए गांव की सादगी लेकर।
मैं तो “दीपक” हूं रोशनी दूंगा
तू है महबूब आशिक़ी लेकर।
©®दीपक झा “रुद्रा”