तू कल बहुत पछतायेगा
आज काट ले पेड़ मगर
तू कल बहुत पछतायेगा
पेड़ काट कर घर बना ले
या बना ले फर्नीचर तू।
जंगल काट कर खेत बना ले
या लगा ले कारखाने तू।
खदानों से खनिज निकाल ले
या बना ले चौड़ी सड़क तू।
पर इतना तो अवश्य समझ ले
तबती गर्मी के मौसम में
शीतल वायु कहाँ से लाएगा।
आज काट ले पेड़ मगर
तू कल बहुत पछतायेगा ।
तू इतना मूर्ख कैसे है
मुझे यह समझ नहीं आता।
जिससे तेरा जीवन चल रहा
तू उसी को काटता जाता।
मेरे विनाश से तेरा विनाश है
इतनी बात तू समझ नहीं पता।
मेरा अनुपात निश्चित है।
इससे कम मेरी संख्या हुई तो
तू प्राण वायु कहाँ से लाएगा।
आज काट ले पेड़ मगर
तू कल बहुत पछतायेगा ।
-विष्णु ‘पाँचोटिया’