तू इतना जरूरी क्यों
कितनी प्यारी, कितनी न्यारी
जिसको जैसा चाहा वैसा बनाया
क्या मोह जो पड़ा सुधर न पाया
रूप निराला कोई समझ न पाया
सबकी प्यारी लाडली है, तुझको न कोई खोना चाहे
गजब की काया जिसके पास है, वही जाना चाहे
तेरा भी रूप निराला है, बिन मेहनत न मिलने वाली
यह जग है तेरा बिन तेरे न चलने वाला
तेरे बिन ये जग अंधेरा, यहां के लोग अंधेरे में,
पाने के लिए हजारों ने हजारों अपराध किए
कुछ पाने को तरसे, कुछ खोने को,
तू भी कितनी निराली, तेरे लिए लोग घर द्वार छोड़ बैठे,
गरीब तो गरीब, अमीर भी तेरे बिन रह न पाए,
तो कितनी अनोखी है, जिसको जैसा चाहा वैसा बनाया,
तेरा भी क्या मोह जो पड़ा सुधर न पाया