तू इंसान है
तेरे गिरने में तेरी हार नहीं
तू इंसान है भगवान नहीं
तू उठ चल दौड़ फिर
तु डरता काहे को है
हार जीत लगी रहती है
अपने मेहनत पर विश्वास तू कर
लक्ष्य बहुत समीप है
जीत कर इतिहास तू रच
जो तुम्हें नालायक समझते थे
उनके मुख से प्रशंसा का वाक्य तू बन
तेरे गिरने में तेरी हार नहीं
तू इंसान है भगवान नही
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार