तूलिका
तूलिका
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माँ मुझे दिलवा दो
एक तूलिका
जिससे मैं अपने सपनो का
धरती आकाश बनाऊंगी
सपनों का सुंदर देश बनाऊँगी….
मम्मी यह जहां अब
रहने लायक नहीं है
झपट्टा मारने को आतुर हैं वहसी परिंदे
कोई जगह सुरक्षित नहीं दिखती
कहाँ रह पाऊँगी …..
रहनुमा रहबर से लगते
कब लूट ले कोई
जाने-अनजाने
कभी भ्रूण-हत्या, कभी दहेजकी पीड़ा
कभी हवस के वास्ते
कितनी बार रौंदा जाता है
अपनो के द्वारा
कोई नहीं सुनने वाला
उर की यह पीड़ा
मै किसे सुनाउंगी………
मैं अपने सपनो का सुंदर देश बनाऊँगी….
संकुचित रूढ़िवादी सोच
नकारात्मक संस्कारों की दुहाई
खाप पंचायतों की मनमानी
जिसमें दवकर रह गई मेरी ख़्वाहिशें
और मै खुद भी
प्रतिबंधित-जीवन कैसे जी पाऊंगी….
मैं अपने सपनो का सुंदर देश बनाऊँगी…..
मम्मी मुझे लादो
एक तूलिका
जिससे मैं अपने सपनो का
धरती आकाश बनाऊंगा.
अपने सपनों का सुंदर देश बनाऊँगी….
प्रेम-दया-करुणा आधारित
मानवता से जग शृंगारित
सबके ह्रदय प्रीत बसाकर
अपना देश सजाऊँगी…..
जहां होगे हरे भरे उपवन
हँसती खेलती नदियाँ और झीले
प्रेम- मानवता के सुंदर गहने
जिसे पहन कर मैं इतराउगी ……
मैं अपने सपनो का सुंदर देश बनाऊँगी……
मै अपने सपनो का सुंदर देश बनाऊगी…..
मै अपने सपनो का सुंदर देश बनाऊँगी……
राघव दुबे
इटावा (उ0प्र0)
8439401034